
प्राचीन मंदिर में देशप्रेम की भावना से बनाया गया भारत का नक्सा, सरगुजा के बंजारों के स्वप्न में आए भगवान शिव और पार्वती
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले को प्रकृति पर्यावरण, काले हीरे के लिए शहर में कई दार्शनिक स्थल है। जिसमे आस्था, देशभक्ति देश प्रेम, प्रकृति पर्यावरण की अनोखे गाथा को तराइमाल स्थित प्राचीन बंजारी धाम बयां कर रहा है। प्राचीन काल मे बनाए गए इस मंदिर की प्रसिद्धि देश विदेश तक फैली है। श्रद्धालुओं के साथ पर्यटक क्षेत्र की हरियाली आस्था और उम्दा पर्यावरण के चलते हर दिन बड़ी संख्या में पहुंचते है।
माता के मंदिर के आसपास का वातावरण खूबसूरत होने के कारण यह पर्यटक स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त है। माता के प्रति आस्था इस कदर है कि लोग विदेशों से हर वर्ष दोनों नवरात्र में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करते हैं। माँ बंजारी के दरबार मे हनुमान भगवान, शंकर भगवान, राधा कृष्ण भगवान ,लक्ष्मी नारायण देव, सरस्वती माता, माता कालरात्रि ,माता शैलपुत्री ,कामदेव मूर्ति और आदि मंदिर बनाया गया है जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं यहां पर शिवलिंग तथा श्रीराम का भी मूर्ति बनाया गया है।
मां बंजारी का मंदिर रायगढ़ जिले से 20 कि.मी. की दुरी पर तराईमाल गांव में विराजित है। मंदिर तक जाने का मुख्य मार्ग सड़क ही हैं। धरमजयगढ़ से 58 कि मी की दुरी पर माता बंजारी का मंदिर विराजित है। कोरबा से 104, बिलासपुर से 160 कि. मी. की दुर है।
मंदिर के पीछे भारत और छत्तीसगढ़ का नक्सा तालाब में उकेरा

बंजारी माता मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर के तालाब को छत्तीसगढ़ वरन सम्भवतः देश मे एक अनोखा स्वरूप में उकेरा गया है। जिसमे कला के बेजोड़ कलाकृतियों को प्रदर्शित कर रहा है।भारत का मानचित्र बनाया गया हैं। इसके अलावा उक्त मानचित्र में छत्तीसगढ़ को भी दर्शाया गया है। यह फलीभूत राष्ट्रीय स्तर में दर्ज मानचित्र के अनुरूप है। मंदिर पदाधिकारी ने बताया कि उक्त तालाब को 2004 से बनाना आरंभ किया गया जो वर्ष 2011-12 में बनकर तैयार हुआ। इसका उद्घाटन तत्कालीन सीएम रमन सिंह ने किया। बताया जाता है कि यह छत्तीसगढ़ का पहला तालाब है जहां इस तरह की रचना की गई है। वरन देश मे भी पहला मान रहे है। फिलहाल प्रकृति के बीच मे होने से यहां हर दिन श्रद्धालुओं से लेकर पर्यटक बड़ी संख्या में आते है।
श्री बंजारी माई धाम तराईमाल प्रचलित कथाए

सन् 1830 में म.प्र.के सरगुजा सीतापुर से बंजारों द्वारा जंगलों में विचरण कर खान पान व मशाला समानों को एकत्र कर अंबिकापुर , रायगढ़ मार्ग में व्यावसाय करते थे । तराईमाल के नाला के पास खाना बनाकर सड़क किनारे विश्राम किया करते थे । उनके परिवार में बच्चे पैदा होते ही स्वर्गवास हो जाते थे अनेकों विपत्तियां आने लगी बंजारों को स्वप्न के रूप में साक्षात् शिव और पार्वती के दर्शन दिए और जमीन को खोदो दो शिला मिलेगें । तभी जमीन खोदने पर दो शिला मिले उन्होनें दो पवित्र शिलाओं को श्री शिव और पार्वती देवी स्थापना कर पूजा अर्चना किये । यह कोई और नहीं बंजारों की कुल देवी मां बंजारी ही थी । मां बंजारी की कृपा से उनके परिवार बढने लगे । महाराज भूपदेव सिंह , चक्रधर सिंह ने भी कई बार श्री बंजारी देवी का पूजा अर्चना करने आते थे । श्री बजारी देवी सन् 1930 क्वार नवरात्रि में मालगुजार उजलों मालाकार पिता चैतन्य मालाकार तराईमाल को स्वप्न में दर्शन दिये और कहा कि मैं तराईमाल के बंजारी नाला कटेर के पास घनघोर जंगल में पड़ी हूं बजारों ने मुझे छोड़कर चले गये हैं । कोई पूजा अर्चना नहीं कर रहा है मैं बहुत दुखी हूं । यदि हमारा पूजा पाठ नहीं होता है तो तुम लोगों को तहस नहस कर दूंगी । तुम पूजा पाठ करो इतना कहकर अंतर्ध्यान हो गये । तब से मालगुजार ने गांव के कोन्दा बैगा व ग्रामीणों को बुलाकर श्री बंजारी देवी का पूजा अर्चना करने लगे । मालगुजार बैगा ग्रामीणों द्वारा करके छोटा सा मंदिर बनवा देवे । उजलो मालाकार परिवार व स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से छोटा सा मंदिर बनाया गया । पूरे गांव व क्षेत्रवासियों द्वारा पूजा अर्चना करने लगे तब से श्री बंजारी मंदिर विख्यात होने लगा । कोन्दा बैगा की मृत्यु के पश्चात झोपड़ी बनाकर पंडितजी द्वारा पूजा अर्चना करने लगे । परंतु अब इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया जिसकी भव्यता मनमोह रही है।

यहां कैसे पहुचे
वायुमार्ग
रायगढ़ से जिंदल निजी एयरबेस सबसे निकट हैं। जबकि ओड़िसा के एयरपोर्ट तथा छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में मौजूद बिलासा एयरपोर्ट दूसरा सबसे निकटतम एयरबेस है।
ट्रेन द्वारा
रायगढ़ रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम है। यह जंक्शन के रूप में है। यहां अमूमन हर घंटे -दो घंटे में ट्रेन लगातार चलती है।स्टेशन से 20 किलोमीटर की दुरी पर यह मंदिर है।
सड़क के द्वारा
रायगढ़ अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग में स्थित है। रायगढ़ से इस मार्ग व मंदिर के लिए हर बस रुकती है। जबकि रायगढ़ रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड से न्यूनतम किराए पर शेयर व बुकिंग कर आटो, समेत अन्य वाहनों के माध्यम से पहुंचकर यहां के रोमांचकारी प्रकृति व आस्था, देशभक्ति के महत्व को देखा और महसूस किया जा सकता है।